ओ सी डी
OCD - Obsessive Complusive Disorder
यह उन लोगों के लिए है जिन्हें आब्सेशन अथवा कम्पल्शन की समस्या है, उनके परिवार जन अथवा मित्र तथा कोई और जो इस बारे में और जानना चाहते हो :
“वो किसी व्यक्ति के या किसी वस्तु के या किसी जगह के बारे में ओब्सेसिव है | वो किसी का फैन है या जबरदस्त प्रशंसक है, वो फूटवेअर्स के बारे में ओब्सेसिव है, वो झूठ बोलने से अपने आप को रोक नहीं पाता या वो एक कंपल्सिव लायर है"। हम ऐसे विचार उन लोगों के बारे में अभिव्यक्त करते हैं जो कि कोई काम बार- बार करते हैं और इस बात को समझ नहीं पाते है कि वो ये काम आवश्यकता से कहीं अधिक कर रहे हैं | दूसरे लोग ऐसे व्यक्तियों को ओब्सेसिव कहकर भी सम्बोधित करते हैं | इस बात का कोई कारण नही होता और उनके लिए ये कोई समस्या भी नहीं होती पर उनको देखने वाले लोग ये जान जाते हैं कि ये व्यक्ति इस प्रक्रिया को लेकर सामान्य नहीं हैं , इसे मनोवैज्ञानिक भाषा में ओब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर रोग भी कहा जाता है। किसी प्रक्रिया के लिए ओब्सेस्ड होना आपको जीवन में एक उंचाई भी दे सकता है , और साथ ही साथ कभी कुछ चीजो को बार बार सोचनें की या करने कि लालसा कि प्रक्रिया आपके जीवन को अत्यंत दुष्कर रूप में प्रभावित कर सकती है।
इसलिए अगर
आप एक ही चीज को बार बार छूते, गिनते हैं अथवा एक ही कार्य को बार-बार करते हैं जैसे कि हाथों को बार-बार धोना, किसी स्थिति को बार बार चेक करना और उसके बारें में संदेह बना रहना जैसे कि ताला ठीक से बंद हुआ की नहीं, नोटों को बार बार गिनना तो आपको ओ सी डी (OCD) हो सकता है।
ओ सी डी (OCD) होने पर कैसा लगता है ?
(What is it like to have OCD)
Patient -1 “मुझे दूसरे लोगों से बीमारी हो जाने का भय बना रहता है। मैं कीटाँणुओं के संक्रमण से बचने के लिए घंटों घर की सफाई में व्यतीत करती है और अपने हाथों दिन में कई बार धोती रहती हूँ। जहाँ तक सम्भव हो मैं घर से बाहर नही निकलती। जब मेरे पति और बच्चे घर वापस आते हैं तो मैं वो कहाँ-कहाँ गये थे इस बात की विस्तृत जानकारी लेती हूँ कि वो किसी खतरनाक जगह जैसे अस्पताल तो नही गये। मैं उनसे उनके कपड़े उतार देने और भली-भाँति नहाने के लिए कहती हूँ। कभी-कभी मुझे अहसास होता है कि मेरे भय निरर्थक है। मेरे परिवार वाले इन बातों से बहुत परेशान हैं लेकिन इस परेशानी को इतना लम्बा समय हो गया है कि मैं इसको रोक नही सकती।”
Patient -2 “मेरा पूरा दिन जाँच पड़ताल मे व्यतीत होता है कि कुछ गड़बड़ न हो। मुझे सुबह घर से बाहर निकलने में अत्यधिक समय लग जाता है क्योंकि मैं सशंकित रहता हूँ कि मैने सारी खिड़कियाँ और विद्युत उपकरण बन्द किए हैं कि नहीं ,मै पाँच- छह बार देखता हूँ कि मैने गैस बन्द की है या नही पर फिर भी मुझे ठीक नही लगता तो मुझे सारे काम दुबारा से करने पड़ते हैं। अन्त मे मैं अपने सहकर्मियों से सारी चीजे दुबारा से जाँचने के लिए कहता हूँ। मैं अपने काम में भी सबसे पीछे रहता हूँ क्योंकि मैं काम को बार- बार करता हूँ। ताकि मुझसे कोई गलती न हो। अगर मैं ऐसा न करूँ तो मुझे असहनीय घबड़ाहट होती है। मुझे पता है कि यह बेवकूफी है लेकिन मैं ऐसा सोचता हूँ कि मुझसे कोई भयंकर भूल हो गयी तो मैं उसका जिम्मेदार होऊँगा।
Patient -3 “मुझे डर लगता है कि मैं अपनी बच्ची को नुक्सान न पहुँचा दूँ। मैं जानती हूँ कि मैं यह नही करना चाहती हूँ लेकिन बुरे विचार मेरे दिमाग में बार-बार आते रहते हैं। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि कही मैं उसे चाकू न मार दूँ। इन विचारों से मुक्ति पाने का एक ही तरीका है कि मैं प्रार्थना करूँ और अच्छे विचार मन में लाऊँ जैसे कि “मैं जानती हूँ कि मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ तब मैं थोड़ा सा अच्छा महसूस करती हूँ जब तक कि दुबारा मेरे दिमाग में वही भयानक तस्वीरें न आयें। मैने अपने घर की सारी नुकीली चीजें और चाकू छुपा दिए हैं। मैं अपने बारे में सोचती हूँ कि “मैं बहुत ही खराब माँ हूँ जो ऐसा सोचती हूँ। मैं अवश्य ही पागल हो जाऊँगी।“
Patient -4- मुझे बहुत ज्यादा विचार आते हैं मैं किसी भी समय विचारों के बिना नहीं रह पाता , मुझे अक्सर ये लगता है कि मेरे विचार बढ़ते बढ़ते बहुत असामान्य हो जाते हैं कभी कभी इन विचारों को लेकर मुझे बहुत शर्म भी आती है क्यूंकि ये विचार मैं दूसरों के सामने व्यक्त नहीं कर सकता
Patient -5- मुझे दूसरों के सामने बोलने से बहुत डर लगता है मुझे लगता है कि मेरी बोली हुई बातों को कोई रिकॉर्ड न कर ले और उसके बाद मेरे खिलाफ उन बातो को इस्तेमाल करे , मुझे हर बात में ये शक बना रहता है कि मैं जो भी बोल रहा हूँ उसे कोई अपने से ना जोड़ले और मुझसे कहने लगे कि कहने लगे कि मैंने उसके बारे में ये सब कहा है, मुझे पूरी तरह से मालूम है कि ये मेरा भ्रम है पर इन सब कि वजह से मैं हमेशा आशंकित रहता हूँ, मैं शब्दों को बहुत चुन चुन कर प्रयोग करता हूँ बस हर समय ये डर लगता है कि मेरे शब्दों का कोई गलत मतलब न निकाले |
ओ सी डी(OCD)के तीन मुख्य भाग होते हैं ?
(OCD has three main parts)
आप क्या सोचते हैं
(आब्सेशन) ?
घबराहट जो आप महसूस करते है
(भावनायें)
आप क्या करते है
(कम्पलशन) –
अगर आप कम्पल्सिवली जुआ खेलते हैं, खाते या पीते हैं तो क्या आपको ओ सी डी है ?
ओ सी डी कितना बुरा हो सकता है?
(How can bad OCD get)
इसमें बहुत भिन्नता है अगर आपको लगातार ओ सी डी से लड़ना नही पड़ता तो आपके कार्य सम्बन्ध और पारिवारिक जीवन अधिक फलदायी एवं संतोषजनक हो सकता है। गम्भीर ओ सी डी में लगातार काम करना अपने पारिवारिक जीवन में भाग लेना और परिवार के साथ रहना असम्भव हो सकता है। विशेषकर अगर आप उनको भी अपने कर्मकाण्ड में शामिल करते हैं तो वो परेशान हो जाते हैं।
ओ सी डी से मिलती जुलती परेशानियाँ
(Other conditions similar to OCD)
ओ सी डी कब शुरू होती है?
(When does OCD begin?)
बहुत से बच्चों को मामूली कम्प्लशन होते हैं। वे अपने खिलौने बहुत ही सुव्यवस्थित रखते हैं और फर्श की दरारों पर पैर रखने से बचते हैं ये प्रायः बच्चों के बड़े होने पर खत्म हो जाता है। व्यस्क ओ सी डी अक्सर किशोरावस्था या 20-25 साल पर शुरू हो जाता है। लक्षण समय के साथ आ और जा सकते है लेकिन ग्रसित लोग मदद नही ढूँढते जब तक उनको कईसालों तक ओ सी डी ना रहे।
बिना इलाज या मदद के क्या सम्भावनायें हैं?
(What is the outlook without help or treatment?)
मामूली ओ सी डी वाले बहुत से लोग बिना इलाज के ही बेहतर हो जाते हैं। मध्यम से गम्भीर तीव्रता के ओ सी डी वालों में साधारणतया ऐसा नही होता है लेकिन किसी-किसी समय उनके लक्षण खत्म होते प्रतीत होते हैं। कुछ लोगों की स्थिति धीरे-धीरे खराब होती है जब कि लोगों के लक्षण तनाव या उदासी के समय बढ़ जाते हैं। इलाज प्रायः मददगार होगा।
ओ सी डी के क्या कारण हैं?
(What causes OCD?)
जीन्स- ओ सी डी कभी-कभी आनुवांशिक होता है इसलिए कभी-कभी पीढ़ी दर पीढ़ी चल सकता है।
तनाव- एक तिहाई लोगों में यह जीवन की तनाव पूर्ण घटनाओं में हो सकता है।
जीवन में बदलाव- जिस दौरान अचानक जिम्मेदारी आती है जैसे यौवनारम्भ,बच्चे को जन्म देना या नयी नौकरी।
मस्तिष्क में बदलाव- हमको निश्चित तौर पर नही पता लेकिन अगर आपको थोड़े से ज्यादा समय तक ओ सी डी रहता है तो अनुसंधान कर्ताओं का सोंचाना है मस्तिष्क में सोरोटोनिन (5-एच टी) का असन्तुलन हो जाता है।
व्यक्तित्व- अगर आप बहुत साफ सुथरे अत्यधिक ध्यान से या व्यवस्थित तरीके से काम करने वाले और ऊँचे नैतिक सिद्धान्तों वाले व्यक्ति हैं तो आपको ओ सी डी होने की ज्यादा सम्भावना है | ये गुण प्रायः मददगार होते हैं मगर बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर ओ सी डी हो सकते हैं।
सोचनें का नजरिया- लगभग हम सभी को कभी न कभी अजीब या कष्टकारी विचार या चित्र आते हैं जैसे कि “ क्या होगा अगर मै कार के सामने आ जाऊँ ” या “ मै अपने को नुकसान पहुँचा दूँगा। ” हममें से ज्यादातर लोग शीघ्र ही ये विचार त्याग कर अपनी जिन्दगी जीते है लेकिन अगर आप ज्यादा सिद्धान्तवादी या जिम्मेदार व्यक्ति है तो आप महसूस कर सकते हैं कि इस तरह के विचार आना ही भयानक है ,इसलिए आप उस चीज के पुनः आने पर ज्यादा ध्यान देते हैं जिससे उनको ऐसा होने की सम्भावना भी ज्यादा होती है।
ओ सी डी किस कारण बनी रह्ती हैं?
(What keeps OCD going?)
आश्चर्यजनक रूप से कुछ तरीके जो आपको मदद करते है ही इसको बनाये रखने मे मदद कर सकते है।
अपनी सहायता करना
(Helping yourself)
मदद पाना
(Getting help)
काग्निटिव बिहेवियर थिरैपी-
ओ सी डी के उपचार के लिए दो तरह की सी बी टी होती है, एक्सपोज़र एण्ड रिस्पांस प्रिवेन्शन (ई आर पी) और काग्निटिव थिरैपी (सी टी)
एक्सपोज़र एण्ड रिस्पांस प्रिवेन्शन- ये कम्पल्सिव आदतों और चिन्ताओं को एक दुसरे से बढ़ावा देने से रोकने का एक तरीका होता है। हम जानते हैं कि अगर आप बहुत अधिक समयतक तनावपूर्ण स्थिति में रहें तो आपको धीरे-धीरे आदत पड़ जाती है और आपकी घबराहट धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। इसलिए आप जिस परिस्थिति से डरते हैं उसका क्रमशः सामना करते है और अपने आप को कम्पल्सिव कर्मकाण्ड करने से, जाँच करने से और सफाई करने से रोकते हैं। (रिस्पांस प्रिवेन्शन) और अपनी घबराहट के कम होने का इन्तज़ार करते हैं।
इसको छोटे-छोटे चरणों में करना प्राय: बेहतर होता है।
ऐसा कम से कम १ या २ हफ्ते तक रोज़ करने की जरुरत है। हर समय आप ऐसा तब तक करिए जब तक आपकी घबराहट सबसे खराब स्थिति से आधी न हो जाये। शुरुआत में लगभग ३० से ६० मिनट हर ५ मिनट बाद अपनी घबराहट का स्तर लिखना मदद कर सकता है उदाहरण के लिए लिए 0 (कोई भय नही) से १० (सर्वाधिक भय)। आप देखेंगे कि कैसे आपकी घबराहट बढ़ती है फिर कम होती है।
कुछ चरणों का अभ्यास आप अपने चिकित्सक के साथ कर सकते हैं लेकिन ज्यादातर समय आप खुद से ही अपने अनुकूल गति से आगे करे। यह याद रखना जरूरी है कि आपको सारी घबराहट खत्म करने की जरूरत नही है। बस इसको बरदाश्त करने लायक लाने की जरूरत है। याद रखिये कि
ई आर पी करने के दो मुख्य तरीके हैं
निर्देशन में अपनी मदद
आप किताब, टेप, वीडियो या डी वी डी के निर्देश का पालन करते है। कभी-कभी आप पेशेवर व्यक्ति से सलाह या सहायता के लिये सम्पर्क कर सकते है । यह तरीका अगर आपकी ओ सी डी मामूली हो या आपमे अपनी मदद करने के तरीके पाने का आत्मविशवास है तो यह उपयुक्त है।
पेशेवर व्यक्ति से आपका अपना या सामूहिक सीधा नियमित सम्पर्क
यह आमने सामने या फोन पर हो सकता है । शुरुआत मे प्राय: ये हर हफ्ते या 2 हफ्ते पर होता है। और एक समय मे ४५ से ६० मिनट तक चल सकता है ।प्रारम्भ मे १० घण्टे तक सम्पर्क की सलाह दी गयी है लेकिन आप को ज्यादा जरुरत हो सकती है।
एक उदाहरण-
जान हर दिन अपना घर समय पर नही छोड पाता था क्योंकि उसे अपनी घर की बहुत सी चीजो की जाँच पडताल करनी होती थी वह चिन्तित था कि उसका घर जल सकता है या उसे लूटा जा सकता है अगर वो हर चीज को पाँच बार ना जाँचें । उसने उन चीजो की एक तालिका आसानी से नियन्त्रण होने वाली चीज की शुरुआत कर बनाई जो ऐसी दिखती थी-
उसने प्रथम चरग से शुरुआत की बजाए। कुकर को बार-बार के देखने के बजाय उसने केवल एक बार जाँचा । प्रारम्भ में उसकी बहुत चिन्ता हुई। उसने अपने आपको वापस जाकर जाँच करने से रोका । उसने अपने आपको अपनी पत्नी से उस के लिए चीजो की जांच पड्ताल करने से भी रोका । और अपने आपको अपनी पत्नी से आश्वासन माँगा कि घर सुरक्षित है के माँगने से रोका। उसका भय क्रमश: 2 सप्ताह मे कम हो गया। फ़िर वो दूसरे चरण की तरफ़ बढा। और इस तरह अन्तत: वो अपनी जाँच पड्ताल के किसी कर्म काण्ड के किए बिना अपने काम पर नियम से जाने के लायक हो सका।
काग्निटिव थिरैपी-
काग्निटिव थिरैपी एक मनोवैज्ञानिक उपचार है जो आपको विचारो के प्रति प्रक्रियाओं से छुटकारा पाने के बजाए उसको बदलने मे मदद करता है । अगर आपको चिन्ताजनक आब्सेशनल विचार आते है लेकिन आप बेहतर महसूस करने के लिए कोई कर्मकाण्ड या प्रक्रिया नही अपनाते तो यह सहायक होती है। एक्सपोजर ट्रीटमेण्ट (E R P) के साथ करने पर यह ओ सी डी के नियन्त्रण में सहायक हो सकता है इसके उद्देश्य है-
काग्निटिव थिरैपी आपकी सहायता करती है:
दूसरा द्रष्टिकोण अपनाने में
(Get a different perspective)
हम सभी को कभी न कभी अजीब विचार आते है लेकिन वे ऐसे ही रहते है इसका मतलब ये नही है कि आप एक बुरे इन्सान है या बुरी चीज हो जायेगी और ऐसे विचारों से छुटकारा पाने की कोशिश करना ही उचित नही होता उनकी उपस्थिति में भी निश्चिन्त रहें, उनका थोडी उत्सुकता और मनोरंजक तरीके से सामना करें। यदि थोडे और अप्रिय विचार आते हों तो भी विरोध न करे उन्हें आने दे और उनके बारे में भी समान तरीके से सोचें।
प्रत्येक विचार को कैसे देखें
(Look at individual thoughts)
काग्निटिव थिरैपी आपको यह निर्णय लेने में मदद करेगी कि किन विचारों को आप बदलना चाहते है। और नये विचार जो ज्यादा वास्तविक है को बनाने में मदद करेगी।
आपकी अपने चिकित्सक से ज्यादातर मुलाकात स्थानीय जी पी प्रेक्टिस क्लीनिक और कभी - कभी अस्पताल में होती है अगर आप अपना घर नही छोड़ सकते है तो आप फोन पर या अपने घर पर भी काग्निटिव थिरैपी ले सकते हैं।
एन्टी डिप्रेसेन्ट दवायें-
अगर आप उदास नहीं हैं तो भी एस एस आर आइ आपके आब्सेशन(obsession) और कम्पल्शन (compulsion) को कम करने में सहायक हो सकते है ये अकेले भी उपयोग की जा सकती या सी बी टी के साथ यदि ओ सी डी मध्यम से गम्भीर हो अगर 3 महीने के बाद भी एस एस आर आई (S S R I) ने बिल्कुल मदद नही की है तो अगले चरण मे इसे दूसरी एस एस आर आई (S S R I) या क्लोमिप्रामीर नामक दवा से बदल सकते है।
यह उपचार किस हद तक काम करते है ?
ऐक्स्पोजर रिस्पान्स ट्रीट्मेन्ट
(Exposure Response Treatment)(ERP)
लगभग चार मे से तीन लोग जो ई आर पी पूरी करते है को बहुत सहायता मिलती है जो लोग ठीक हो जाते है उनमें से 4 में 1 लोग को भविष्य में फिर से लक्षण हो जायेंगे और उन्हें दुबारा उपचार की जरुरत पडेगी लेकिन ४ मे से लगभग १ लोग ई आर पी (E R P) की कोशिश करने से मना कर देते है या उसको पूरा नही करते है वो बहुत भयभीत हो सकते या इसको करने अधिक दबाव महसूस करते हैं।
दवायें
(Medication)
लगभग १० में से ६ लोग दवा से बेहतर होते है सामान्यतः उनके लक्षण घट कर आधे हो जाते है एन्टी ओब्शेसनल दवायें जब तक इस्तेमाल कर और यहां तक उसके कई साल बाद तक भी ओ सी डी वापस आने से रोकती है दुर्भाग्यवश 2 में से 1 लोग जो दवा बन्द कर देते है उन्हें 1 माह के अन्दर ही पुनः लक्षण आ जायेंगे इसके दुबारा होने की सम्भावना कम होती है अगर दवाओं के साथ सी बी टी दी जायें।
मेरे लिए कौन सा तरीका सबसे अच्छा है?
दवायें या इलाज लेना
(Which approach is best for me, medication or treatment?)
मामूली समस्या के लिए एक्पोजर थिरैपी की कोशिश बिना पेशेवर मदद के भी ली जा सकती है और यह प्रभावशाली होती है और इससे घबराहट के अतिरिक्त कोई और नुकसान नही होता है। दूसरी तरफ, इसके लिए बहुत ज्यादा प्रेरणा एवं मेहनत की जरुरत होती है और कुछ समय के लिए कुछ अतिरिक्त घबराहट भी होती है।
सी बी टी और दवायें लगभग समान रुप से प्रभावशाली है। अगर आपको मामूली ओ सी डी है तो सी बी टी अपने आप में प्रभावी है। अगर आपको गम्भीर ओ सी डी है थोड़ी सी तो आप C B T (पेशेवर व्यक्ति से 10 घण्टे का सम्पर्क) या दवायें (लगभग 12 हफ्ते) चुन सकते हैं। अगर आप बेहतर नहीं हुये तो आपको दोनों इलाज लेने चाहिए।
अगर आपकी ओ सी डी गम्भीर है तो शुरु से ही दवायें और सी बी टी साथ-साथ लेना सम्भवतः सबसे अच्छा रहता है। अगर आपकी ओ सी डी मामूली से थोडी ज्यादा है और
आपको लगता है कि आप ई आर पी(E R P) और ओ सी डी की घबराहट का सामना नही कर सकते तो केवल दवायें ही एक उपाय हैं।
यह दस मे से 6 लोगों की सहायता करता है। लेकिन भविष्य मे 2 मे से 1 को ओ सी डी पुनः होने की सम्भावना है। जबकि ऐक्स्पोजर रिस्पान्स ट्रीट्मेन्ट मे 4 मे से 1 की इसको एक साल तक लेना पड़ता है और यह स्पष्ट है कि यह गर्भावस्था और बच्चे को दूध पिलाते समय आदर्श नही है।
इन विकल्पों के बारे मे अपने चिकित्सक, जो आपको अन्य वांछित जानकारी दे सकते है, से बात करें। आप अपने विश्वसनीय मित्र या परिवार जनों से भी बात कर सकते हैं।
क्या करे अगर इलाज मदद न करें?
(What if the treatment does not help?)
आपका डाक्टर आपको विशेषज्ञ दल के पास भेज सकता है जिसमें साइकेट्रिस्ट(Psychiatrists), साइकोलाजिस्ट(Psychologist), नर्स (nurses),सोशल वर्कर (social worker) और आक्यूपेशनल थिरेपिस्ट (Occupational Therapists) हो सकते है। वो सलाह दे सकते है:
क्या मुझे इलाज के लिए अस्पताल जाने की जरुरत है?
(Will I need to go into hospital for treatment?)
ज्यादातर लोग जी पी सर्जरी या अस्पताल से सम्बन्धित क्लीनिक में जाने से बेहतर हो जाते है। मानसिक स्वास्थ इकाई में भर्ती की सलाह तभी दी जाती है अगर
कौन से इलाज ओ0सी0डी0 में काम नहीं करते ?
(which treatment do not work for OCD?)
इनमें से कुछ तरीके अन्य बीमारियों में मदद कर सकते है लेकिन इनका ओ0 सी0 डी0 के लिए कोई ठोस प्रमाण नही है:
परिवार और मित्रों के लिए सलाह
(Tips for family and friends)
www.nirvanhospital.org